रविवार, २२ ऑक्टोबर, २०१७

शायरी(हिन्दी )-2

दर्द को छुपाये रखते हम लेकिन
आखों कि नमी कुछ और बयाँ कर देती
कितनी परायी हो चुकी हो तुम
कल तक तो हमारी आहट भी पहचान लेती


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