शुक्रवार, ६ ऑक्टोबर, २०१७

शायरी(हिन्दी )-१

जहन मे हमारे कुछ भी नही था,
फिर भी हम किस्मत से खेले है
मंजुरे खुदा ने क्या चाहा,
आज मिलके भी उनसे अकेले है


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