(मेरी मराठी कविता "मी भ्रष्ट कि,तु भ्रष्ट" का हिंदी अनुवाद.)
मै भ्रष्ट या,तू भ्रष्ट ।
इसमे तो रोज लेते कष्ट ॥
आम आदमी तो मरता है ।
पर राजकारणी तो हमेशा रहे श्रेष्ठ ॥
भले भले इनके कारनामे
ना देश कि कोइ पर्वा करता ॥
बुंद बुंद पाणी के लिए
यहा इन्सान है तरसता॥
इनके लिए सुका भी संधी है
ये उच्च कोटी के नतद्रष्ट ॥
मै भ्रष्ट या,तू भ्रष्ट
इसमे तो रोज लेते कष्ट ॥
कोई कहासे भी आता
गोलमाल बोलबोल जाता ॥
दुसरा आके फिरसे उसमे
कुछ और ही जोड जाता ॥
सब बेकार की बाते इनकी
ना कभी कुछ होता स्पष्ट॥
मै भ्रष्ट या,तू भ्रष्ट
इसमे तो रोज लेते है कष्ट ॥
ना हवा छोडी ना पाणी
मिट्टी भी बेच डाली ॥
पैसा इनका अजीज है
पर दिमाग है खाली ॥
कामगार तो रोज है मरता
पर ये बेदिल होत है दुष्ट ॥
मै भ्रष्ट या,तू भ्रष्ट
इसमे तो रोज लेते कष्ट ॥
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